National Income

देश का सफ़ेद धन और काला धन

कालेधन को छोड़कर अभी भारत की कुल सम्पत्ति लगभग पचास ट्रिलियन डॉलर है जो प्रति परिवार 244 हज़ार डॉलर या 41 लाख रूपये से अधिक है (PPP में 17 रूपये का एक डॉलर है, विनिमय दर से चार गुना, PPP मुद्रा की घरेलू क्रय शक्ति है जबकि विनिमय दर केवल विदेश व्यापार में काम आती है, रूपये की विनिमय दर को चार गुना बढ़ाकर भारत को लूटा जा रहा है), अमरीका और चीन की आधी भारत की वास्तविक राष्ट्रीय आय है , वे दोनों आपस में बराबर हैं | एक्सचेंज रेट पर नहीं, असली मूल्य पर आकलन करके कह रहा हूँ जिसे PPP कहा जाता है (purchasing power parity)|
एक औसत भारतीय परिवार के पास 41 लाख रूपये से अधिक की कुल संपत्ति है, किन्तु कृषि पर निर्भर वर्ग (किसान और खेतिहर श्रमिक) की संपत्ति बहुत कम है — औसतन 870 हज़ार रूपये प्रति परिवार जिसका अधिकाँश जमीन (कुल संपत्ति का एक तिहाई खेती योग्य भूमि है, 14 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक) , मकान, बगीचे और पशुधन है | गैर कृषि कर्म वाले भारतीय जनसँख्या का 38% हैं और संपत्ति प्रति परिवार 95 लाख रूपये है, कालेधन को छोड़कर | यह स्थूल आँकड़ा है, सरकारें कोई आँकड़ा नहीं रखतीं | कुल संपत्ति का 22 से 23 प्रतिशत वार्षिक आय

राष्ट्रीय आय

GDP राष्ट्रीय कुण्डली के आयभाव से देखते हैं, धनभाव से देश की कुल संपत्ति देखते हैं जिसका हिसाब कोई देश नहीं रखता क्योंकि कालेधन को बचाना है |
यद्यपि देश के समस्त वित्तीय कारोबार सम्मिलित रूप से भी सकल राष्ट्रीय सम्पदा का छोटा हिस्सा ही हैं, उनकी वार्षिक वृद्धि दर धनभाव से देखी जाती है क्योंकि राष्ट्रीय सम्पदा की वृद्धि दर और वित्तीय क्षेत्रों में वार्षिक वृद्धि दर में बहुत हद तक समानता रहती है यह मैंने भारत सरकार की इकनोमिक सर्वे के साठ से भी अधिक वर्षों की जाँच में पाया है | किन्तु राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर ग्यारहवें भाव (आयभाव) से ही देखनी चाहिए | चौथे भाव से कृषि, पशुपालन, वन, खनन देखते हैं | उद्योग (विनिर्माण, manufacturing) दशम भाव से देखते हैं | राजनीति भी दशम से ही देखते हैं |

+कालाधन

कालेधन का पता भी ज्योतिष से लग सकता है | व्यक्ति या देश के कुण्डली में आयभाव का आरूढ़पद यदि पापग्रह से पीड़ित तो तो पापपूर्ण आय होती है | वह पापग्रह कितना बलवान या कमजोर है इससे काली कमाई की मात्रा का ज्ञान होता है | सरकार किसे कालाधन मानती है यहाँ उससे कोई सरोकार नहीं है, धर्म की दृष्टि से जो अनुचित है यहाँ उसे काली कमाई कह रहा हूँ |

मेदिनी ज्योतिष की विधि

42000 वर्षीय गूढ़ चक्र में किस कालखंड में कोई देश कहाँ स्थित है इसपर उसकी तात्कालिक कुण्डली का फल निर्भर करता है | यह गुप्त विषय है जिसका ज्ञान ईसापूर्व 650 के बाद से छुपाया जाने लगा |
तात्कालिक कुण्डली के निम्न स्तर होते हैं :-
दिव्य वर्ष - 360 वर्षों तक फल प्रभावी रहता है |
दिव्यमास - 30 वर्षों तक |
वर्षफल - एक वर्ष तक फल प्रभावी रहता है |
उसके 12 भाग करते जाएँ तो मासफल और विदशा (ढाई सौर दिन)|

ये काल-स्तर मेदिनी ज्योतिष के हर देश-स्तर में होते हैं — पृथ्वीचक्र, देशचक्र, प्रान्तचक्र, मण्डलचक्र, नगर वा ग्राम चक्र, तथा गृह वा क्षेत्र (खेत आदि) चक्र |
देश की कुण्डली बनाने से पहले पृथ्वीचक्र में उस देश का फल देख लेना चाहिए, तब दोनों कुण्डलियों के सम्मिलित फल से निष्कर्ष ज्ञात करना चाहिए |

सॉफ्टवेयर द्वारा मेदिनी कुण्डली बनाने की विधि

Kundalee Software इनस्टॉल करने के बाद उसका Phalit.exe run करें, ऊपर दाहिनी ओर के कॉम्बो-बॉक्स में Medini फोल्डर को चुने, डिफ़ॉल्ट फाइल "VidishaDeshChart" खुलेगा जो देशचक्र है | यदि पृथ्वीचक्र चुनना है तो ऊपर बाईं ओर के कॉम्बो-बॉक्स में VidishaDeshChart के बदले MeruWorldChart चुने (MumbaiBSE मत चुनें, यह वितरण हेतु नहीं है, और USADeshaChart भी प्रयोग के लिए ही है, इसपर मैंने शोध किया है, एक NRI भारतीय मित्र की ईच्छा थी अतः बना दिया किन्तु उसने भी कार्य नहीं किया ; पृथ्वीचक्र और भारतचक्र बिलकुल सही है) ) | दोनों मामलों में निम्नोक्त विधि समान रूप से कार्य करेगी |
जिस वर्ष का फल जानना हो उसका ईसाई वर्ष टाइप करें (डिफ़ॉल्ट "2016" होगा) - SAVE बटन से ऊपर के टेक्स्ट बॉक्स में | अन्य कोई छेडछाड न करें, SHOW बटन क्लिक करने पर वर्ष-प्रवेश चक्र बन जाएगा |
मासफल की विधि हेतु SHOW बटन क्लिक करने से पहले नीचे पीले छोटे टेक्स्ट बॉक्सों में से पहले बॉक्स में (काल-स्तर का पहला स्तर) "1" को हटाकर 2 टाइप कर दें (प्रत्यन्तर अर्थात तीसरा स्तर चाहिए तो 3, चौथे स्तर हेतु 4 और पांचवें हेतु 5 टाइप करें, छठा स्तर नहीं होता है, उसकी विधि दूसरी है जो गोपनीय है, उसे जान लेने पर हर 2 सेकंड स्टॉक मूल्यों का उतार-चढ़ाव या वर्षा में हर 2 सेकंड कमी-तेजी आदि जान सकते हैं)|
उक्त स्तर चुनने के बाद सबसे नीचे बांयी ओर के टेक्स्ट बॉक्स में मास-संख्या टाइप करें | यदि वर्षफल देखना है तो मास-संख्या "1" ही रहने दें जो डिफ़ॉल्ट है |
उसके बाद यदि ढाई सौर दिनों की कुण्डली बनानी है तो मास-संख्या से दाहिनी ओर के ताक्स्त बॉक्स में उस मास के जिस प्रत्यन्तर की कुण्डली बनानी हो उसकी संख्या टाइप करें, उसके बाद सूक्ष्म-संख्या और प्राण-संख्या भी इसी तरह टाइप करें |
यदि किसी समय की मास, प्रत्यन्तर, सूक्ष्म और प्राण संख्याएं ज्ञात करनी हो तो ईसाई वर्ष टाइप करने के बाद सबसे ऊपर दाहिनी ओर SHOW बटन के नीचे वान्छित दिनांक, मास, वर्ष, घंटा, मिनट, सेकंड टाइप करें और फिर नीचे "NOW" बटन दबा दें, कुण्डली तो वर्षफल की बनेगी किन्तु उसे हटाने पर एक टेक्स्ट बॉक्स दिखेगा जिसमें "Varsha-phala LEVEL :: LEVEL Number" लिखा होगा, उसमें काल-स्तर की सभी संख्याएं मिल जायेंगी, उन संख्याओं को मास, प्रत्यन्तर, आदि के खानों में उपरोक्त विधि द्वारा टाइप करें | नीचे वाले सारे टेक्स्ट बॉक्स टाइप करने के बाद उनमें से पहले बॉक्स में जोभी लेवल टाइप करेंगे उसकी कुण्डली SHOW बटन दबाने पर बनती चली जायेगी |

कई प्रकार के फलों का जोड़ या घटाव

किसी क्षण की कुण्डली का फल देखना हो तो उस समय के वर्षफल, मासफाल, प्रत्यन्तर आदि सबका फल ज्ञात करके फलों को जोड़ना पड़ेगा | शुभ फल में शुभ फल जुड़ेगा और अशुभ फल घटेगा, और कितना जुड़ेगा या घटेगा यह प्रासंगिक ग्रहों के बल पर निर्भर करेगा | कई कुण्डलियों या कई ग्रहों के फल जोड़ने-घटाने का यह अनुभव व्यक्तिगत (जातक) कुण्डली में भी पडेगा, जैसे कि विंशोत्तरी की महादशा, अन्तर्दशा, आदि के ग्रहों के सम्मिलित फल ज्ञात करने में या उस व्यक्ति के वर्षफल में मासफाल आदि को जोड़ने में |
कई प्रकार के फलों को जोड़ने-घटाने का यही अनुभव धीरे-धीरे असली ज्योतिषी बनाएगा | व्यक्तिगत (जातक) में जन्मकाल की अशुद्धि तो रहती ही है, विंशोत्तरी आदि अनेक दशाओं का भी झमेला रहता है जो मेदिनी ज्योतिष में नहीं रहता | अतः मेदिनी ज्योतिष आसान है और इसके द्वारा ज्योतिष की गूढ़ बातों का अनुभव होने के बाद उस ज्ञान को जातक पर लागू करें | जातक का विशेषज्ञ बनने के लिए मेदिनी ज्योतिष सीखना अनिवार्य है जो आजकल सामान्यतः कोई नहीं सीखता, यही कारण है कि अधिकाँश ज्योतिषी केवल अधकचड़ा ज्ञान ही अर्जित कर पाते हैं | जिसे देश और समाज से मतलब नहीं, वह जातक-ज्योतिष भी नहीं सीख सकता - यही भगवान की दक्षिणा है | ज्योतिष-शास्त्र वेदांग है,अतः ईश्वरीय ज्ञान है, जिसका सही प्रयोग वही कर सकता है जो भगवान की तरह समूची सृष्टि और सभी जीवों का कल्याण करना चाहे |

राष्ट्रीय आय की ज्योतिषीय जाँच

राष्ट्रीय आय की ज्योतिषीय जाँच के लिये पहले पुराने आँकड़ों की जाँच उपरोक्त मेदिनी पद्धति द्वारा करनी चाहिये ताकि पद्धति समझ में आये । अतः पहले आँकड़े नीचे प्रस्तुत हैं ।

सकल राष्ट्रीय आय में वार्षिक वृद्धि : १९५१−५२ से २०१९−२०

२०१९−२० की सरकारी “आर्थिक समीक्षा” नेट पर उपलब्ध है,उसके परिशिष्ट की दूसरी सारिणी प्रस्तुत है (वेबलिंक है = http://vedicastrology.wikidot.com/national-income#toc6)। इस सारिणी का दूसरा कॉलम है स्थिर मूल्य पर “सकत राष्ट्रीय आय” (Gross National Income) में वार्षिक वृद्धि। वार्षिक वृद्धि के इन आँकड़ों की तुलना कुण्डली सॉफ्टवेयर में विदिशा−केन्द्रिक राष्ट्रीय कुण्डली के आयभाव अर्थात् एकादश भाव के फलादेश से करें, तब पद्धति स्वतः स्पष्ट होने लगेगी ।

Economic Survey 2019-20
Table 1.2. Annual Growth Rates of Gross National Income and Net National Income
Year (column 1)
% Annual Growth in Gross national income at Constant Prices (सकत राष्ट्रीय आय में % वार्षिक वृद्धि = column 2)
1951-52 3.1
1952-53 2.7
1953-54 6.2
1954-55 4.8
1955-56 3.4
1956-57 5.5
1957-58 -0.5
1958-59 7.3
1959-60 2.5
1960-61 5.5
1961-62 3.6
1962-63 2.9
1963-64 6.0
1964-65 7.4
1965-66 -2.7
1966-67 0.0
1967-68 7.7
1968-69 3.4
1969-70 6.5
1970-71 5.2
1971-72 1.7
1972-73 -0.5
1973-74 3.4
1974-75 1.3
1975-76 9.2
1976-77 1.7
1977-78 7.3
1978-79 5.7
1979-80 -5.1
1980-81 6.8
1981-82 5.9
1982-83 3.2
1983-84 7.3
1984-85 3.7
1985-86 5.3
1986-87 4.7
1987-88 3.8
1988-89 9.4
1989-90 5.9
1990-91 5.3
1991-92 1.0
1992-93 5.5
1993-94 4.9
1994-95 6.7
1995-96 7.6
1996-97 7.7
1997-98 4.2
1998-99 6.2
1999-00 8.8
2000-01 3.6
2001-02 5.0
2002-03 3.9
2003-04 7.9
2004-05 7.9
2005-06 9.3
2006-07 9.2
2007-08 10.2
2008-09 3.7
2009-10 8.5
2010-11 9.8
2011-12 6.9
2012-13 5.1
2013-14 6.3
2014-15 7.5
2015-16 8.0
2016-17 8.2
2017-18 7.2
2018-19 6.9
2019-20 5.0

उपरोक्त सारिणी ही विकास−दर के क्रम से प्रस्तुत है —

2007-08 10.2
2010-11 9.8
1988-89 9.4
2005-06 9.3
2006-07 9.2
1975-76 9.2
1999-00 8.8
2009-10 8.5
2016-17 8.2
2015-16 8
2004-05 7.9
2003-04 7.9
1996-97 7.7
1967-68 7.7
1995-96 7.6
2014-15 7.5
1964-65 7.4
1983-84 7.3
1977-78 7.3
1958-59 7.3
2017-18 7.2
2018-19 6.9
2011-12 6.9
1980-81 6.8
1994-95 6.7
1969-70 6.5
2013-14 6.3
1998-99 6.2
1953-54 6.2
1963-64 6
1989-90 5.9
1981-82 5.9
1978-79 5.7
1992-93 5.5
1960-61 5.5
1956-57 5.5
1990-91 5.3
1985-86 5.3
1970-71 5.2
2012-13 5.1
2019-20 5
2001-02 5
1993-94 4.9
1954-55 4.8
1986-87 4.7
1997-98 4.2
2002-03 3.9
1987-88 3.8
2008-09 3.7
1984-85 3.7
2000-01 3.6
1961-62 3.6
1973-74 3.4
1968-69 3.4
1955-56 3.4
1982-83 3.2
1951-52 3.1
1962-63 2.9
1952-53 2.7
1959-60 2.5
1976-77 1.7
1971-72 1.7
1974-75 1.3
1991-92 1
1966-67 0
1972-73 -0.5
1957-58 -0.5
1965-66 -2.7
1979-80 -5.1

Real Gross Value Added at Factor Cost by Industry of Origin में वार्षिक वृद्धि : १९५१−५२ से २०१९−२०

वार्षिक वृद्धि के इन आँकड़ों की तुलना कुण्डली सॉफ्टवेयर में विदिशा−केन्द्रिक राष्ट्रीय कुण्डली से इस प्रकार करें —

कृषि आदि वाले प्रथम कॉलम (प्राथमिक क्षेत्र) का फलादेश राष्ट्रीय कुण्डली के चतुर्थ भाव से करें ।

विनिर्माण आदि वाले द्वितीय कॉलम का फलादेश राष्ट्रीय कुण्डली के दशम भाव से करें ।

व्यापार,यातायात आदि वाले तृतीय कॉलम का फलादेश राष्ट्रीय कुण्डली के सप्तम भाव से करें ।

सप्तम भाव में होटल नहीं है,संचार भी नहीं है,संचार तृतीय भाव में आता है । अतः सप्तम भाव के आँकड़ों की जाँच पूरी तरह सही नहीं होगी ।

वित्त आदि वाले चतुर्थ कॉलम का फलादेश राष्ट्रीय कुण्डली के द्वितीय भाव से करें ।

Community social & personal services किसी एक भाव में नहीं आता । अन्तिम कॉलम से बेहतर उपरोक्त सकल राष्ट्रीय आय है जिसके लिये कुण्डली में एकादश भाव है । अतः निम्न सारिणी के अन्तिम दो कॉलमों की ज्योतिषीय जाँच न करें और तृतीय कॉलम की जाँच भी सन्दिग्ध मानें ।

भाव २, ४ ,१० और ११ की जाँच इन सारिणियों द्वारा करें और इस प्रकार कुण्डली के विभिन्न ग्रहयोगों का व्यावहारिक अनुभव बढ़ायें जिसका लाभ व्यक्तिगत कुण्डली अर्थात् जातक में मिलेगा ।

Economic Survey 2019-20 :−

Table 1.5 A. Annual Growth Rates of Real Gross Value Added at Factor Cost by Industry of Origin

(column 1) Year
(column 2) Agriculture,forestry & fishing, mining and quarrying
(column 3) Manufacturing,construction,electricity, gas and water supply
(column 4) Trade,hotels,transport & communication
(column 5) Financing,insurance, real estate and business services
(column 6) Community social & personal services
(column 7) Gross value added at factor cost

1951-52 1.9 4.6 2.6 2.3 3.0 2.3
1952-53 3.1 -0.4 3.3 4.2 2.1 2.8
1953-54 7.5 6.2 3.7 1.4 3.1 6.1
1954-55 3.0 8.8 6.5 3.7 3.6 4.2
1955-56 -0.8 11.7 7.3 4.0 3.1 2.6
1956-57 5.4 9.0 7.3 1.6 3.8 5.7
1957-58 -4.1 -1.8 3.1 3.8 4.5 -1.2
1958-59 9.8 7.4 5.0 2.8 4.1 7.6
1959-60 -0.8 7.0 6.3 3.8 4.3 2.2
1960-61 7.1 10.8 8.6 2.1 4.9 7.1
1961-62 0.3 6.9 6.5 4.3 4.7 3.1
1962-63 -1.4 6.2 5.9 3.4 7.1 2.1
1963-64 2.4 10.7 7.1 3.1 6.6 5.1
1964-65 8.8 7.4 6.8 2.7 6.6 7.6
1965-66 -9.9 3.2 1.8 3.0 4.0 -3.7
1966-67 -1.2 3.7 2.6 1.8 4.6 1.0
1967-68 14.1 3.3 4.3 2.7 3.9 8.1
1968-69 0.0 5.1 4.5 4.9 4.5 2.6
1969-70 6.3 7.8 5.4 4.2 5.5 6.5
1970-71 6.3 1.6 4.9 4.2 5.5 5.0
1971-72 -1.7 2.5 2.3 5.2 4.5 1.0
1972-73 -4.4 3.4 2.2 3.9 3.3 -0.3
1973-74 6.9 0.5 4.2 2.4 2.6 4.6
1974-75 -1.2 1.0 6.0 -0.3 4.7 1.2
1975-76 12.8 6.5 9.1 6.9 3.5 9.0
1976-77 -5.2 9.3 4.5 7.9 2.8 1.2
1977-78 9.6 7.4 6.7 4.9 2.7 7.5
1978-79 2.3 7.3 8.2 7.1 4.3 5.5
1979-80 -11.9 -3.6 -0.8 1.0 7.3 -5.2
1980-81 12.8 4.5 5.6 1.9 5.0 7.2
1981-82 5.2 7.4 6.1 8.1 2.1 5.6
1982-83 0.6 0.2 5.5 9.5 7.7 2.9
1983-84 9.5 8.5 5.1 9.8 3.7 7.9
1984-85 1.6 4.4 4.8 7.5 6.9 4.0
1985-86 0.7 4.3 8.0 9.8 5.7 4.2
1986-87 0.6 4.9 6.0 10.5 7.5 4.3
1987-88 -1.1 5.8 5.1 7.3 7.2 3.5
1988-89 15.7 8.2 6.0 9.8 6.0 10.2
1989-90 1.8 8.4 7.4 12.4 7.9 6.1
1990-91 4.7 6.9 5.2 6.2 4.4 5.3
1991-92 -1.4 -0.1 2.3 10.8 2.6 1.4
1992-93 6.0 3.6 5.6 5.4 6.0 5.4
1993-94 3.1 6.1 6.9 11.2 4.5 5.7
1994-95 5.2 9.1 9.9 3.9 2.3 6.4
1995-96 0.0 12.0 13.4 8.1 7.3 7.3
1996-97 8.9 7.2 8.1 6.2 8.1 8.0
1997-98 -1.3 3.3 7.5 11.7 8.3 4.3
1998-99 5.9 4.3 7.7 7.8 9.7 6.7
1999-00 2.8 6.2 11.4 13.0 12.0 8.0
2000-01 0.3 6.5 6.4 3.5 4.6 4.1
2001-02 5.5 2.7 8.6 6.2 4.0 5.4
2002-03 -4.9 7.1 8.3 7.2 3.8 3.9
2003-04 8.2 7.9 11.2 5.3 5.3 8.0
2004-05 1.1 10.0 9.5 7.7 6.8 7.1
2005-06 4.6 10.7 12.0 12.6 7.1 9.5
2006-07 4.6 12.7 11.6 14.0 2.8 9.6
2007-08 5.5 10.3 10.9 12.0 6.9 9.3
2008-09 0.4 4.7 7.5 12.0 12.5 6.7
2009-10 1.5 9.5 10.4 9.7 11.7 8.6
2010-11 8.3 7.6 12.2 10.0 4.2 8.9
2011-12 4.4 8.5 4.3 11.3 4.9 6.7
2012-13 1.4 3.6 9.8 9.7 4.3 5.4
2013-14 4.8 4.2 6.5 11.2 3.8 6.1
2014-15 1.2 6.7 9.4 11.0 8.3 7.2
2015-16 2.1 9.5 10.2 10.7 6.1 8.0
2016-17 6.8 7.5 7.7 8.7 9.2 7.9
2017-18 5.0 6.0 7.8 6.2 11.9 6.9
2018-19 2.7 7.5 6.9 7.4 8.6 6.6
2019-20 2.6 2.6 5.9 6.4 9.1 4.9

प्राथमिक (कृषि आदि) क्षेत्र की % वार्षिक वृद्धि दर (भाव−४)

1988-89 15.7
1967-68 14.1
1980-81 12.8
1975-76 12.8
1958-59 9.8
1977-78 9.6
1983-84 9.5
1996-97 8.9
1964-65 8.8
2010-11 8.3
2003-04 8.2
1953-54 7.5
1960-61 7.1
1973-74 6.9
2016-17 6.8
1970-71 6.3
1969-70 6.3
1992-93 6
1998-99 5.9
2007-08 5.5
2001-02 5.5
1956-57 5.4
1994-95 5.2
1981-82 5.2
2017-18 5
2013-14 4.8
1990-91 4.7
2006-07 4.6
2005-06 4.6
2011-12 4.4
1993-94 3.1
1952-53 3.1
1954-55 3
1999-00 2.8
2018-19 2.7
2019-20 2.6
1963-64 2.4
1978-79 2.3
2015-16 2.1
1951-52 1.9
1989-90 1.8
1984-85 1.6
2009-10 1.5
2012-13 1.4
2014-15 1.2
2004-05 1.1
1985-86 0.7
1986-87 0.6
1982-83 0.6
2008-09 0.4
2000-01 0.3
1961-62 0.3
1995-96 0
1968-69 0
1959-60 -0.8
1955-56 -0.8
1987-88 -1.1
1974-75 -1.2
1966-67 -1.2
1997-98 -1.3
1991-92 -1.4
1962-63 -1.4
1971-72 -1.7
1957-58 -4.1
1972-73 -4.4
2002-03 -4.9
1976-77 -5.2
1965-66 -9.9
1979-80 -11.9

उद्योग (विनिर्माण आदि) की % वार्षिक वृद्धि दर (भाव−१०)

2006-07 12.7
1995-96 12
1955-56 11.7
1960-61 10.8
2005-06 10.7
1963-64 10.7
2007-08 10.3
2004-05 10
2015-16 9.5
2009-10 9.5
1976-77 9.3
1994-95 9.1
1956-57 9
1954-55 8.8
2011-12 8.5
1983-84 8.5
1989-90 8.4
1988-89 8.2
2003-04 7.9
1969-70 7.8
2010-11 7.6
2018-19 7.5
2016-17 7.5
1981-82 7.4
1977-78 7.4
1964-65 7.4
1958-59 7.4
1978-79 7.3
1996-97 7.2
2002-03 7.1
1959-60 7
1990-91 6.9
1961-62 6.9
2014-15 6.7
2000-01 6.5
1975-76 6.5
1999-00 6.2
1962-63 6.2
1953-54 6.2
1993-94 6.1
2017-18 6
1987-88 5.8
1968-69 5.1
1986-87 4.9
2008-09 4.7
1951-52 4.6
1980-81 4.5
1984-85 4.4
1998-99 4.3
1985-86 4.3
2013-14 4.2
1966-67 3.7
2012-13 3.6
1992-93 3.6
1972-73 3.4
1997-98 3.3
1967-68 3.3
1965-66 3.2
2001-02 2.7
2019-20 2.6
1971-72 2.5
1970-71 1.6
1974-75 1
1973-74 0.5
1982-83 0.2
1991-92 -0.1
1952-53 -0.4
1957-58 -1.8
1979-80 -3.6

वित्त आदि की % वार्षिक वृद्धि दर (भाव−२)

2006-07 14
1999-00 13
2005-06 12.6
1989-90 12.4
2008-09 12
2007-08 12
1997-98 11.7
2011-12 11.3
2013-14 11.2
1993-94 11.2
2014-15 11
1991-92 10.8
2015-16 10.7
1986-87 10.5
2010-11 10
1988-89 9.8
1985-86 9.8
1983-84 9.8
2012-13 9.7
2009-10 9.7
1982-83 9.5
2016-17 8.7
1995-96 8.1
1981-82 8.1
1976-77 7.9
1998-99 7.8
2004-05 7.7
1984-85 7.5
2018-19 7.4
1987-88 7.3
2002-03 7.2
1978-79 7.1
1975-76 6.9
2019-20 6.4
2017-18 6.2
2001-02 6.2
1996-97 6.2
1990-91 6.2
1992-93 5.4
2003-04 5.3
1971-72 5.2
1977-78 4.9
1968-69 4.9
1961-62 4.3
1970-71 4.2
1969-70 4.2
1952-53 4.2
1955-56 4
1994-95 3.9
1972-73 3.9
1959-60 3.8
1957-58 3.8
1954-55 3.7
2000-01 3.5
1962-63 3.4
1963-64 3.1
1965-66 3
1958-59 2.8
1967-68 2.7
1964-65 2.7
1973-74 2.4
1951-52 2.3
1960-61 2.1
1980-81 1.9
1966-67 1.8
1956-57 1.6
1953-54 1.4
1979-80 1
1974-75 -0.3

पद्धति का उदाहरण

कुण्डली सॉफ्टवेयर द्वारा वर्ष २००७ की विदिशा−कुण्डली बनायें । सकल राष्ट्रीय आय में सर्वाधिक वृद्धि का वर्ष १९५० ई⋅ था ।

प्रथम वर्ग में आयेश शुक्र स्वगृही होकर दशम में केन्द्रस्थ हैं । आयेश होना हर विषय में अशुभ होता है किन्तु स्वगृही हो तो आय बहुत बढ़ाता है । किन्तु शुक्र चतुर्थेश अर्थात् केन्द्रेश भी हैं,अतः अशुभ हैं । इस कारण केवल शुक्र के ही कारण से आय में अभूतपूर्व वृद्धि सम्भव नहीं है,अन्य कारकों का भी योगदान होना चाहिये ।

दशम में स्वगृही शुक्र हैं और दशमेश मङ्गल केन्द्रेश−त्रिकोणेश का राजयोग बना रहे हैं जिस कारण उद्योग आदि में १०⋅३% की वृद्धि हुई । वित्त के स्वामी सूर्य उच्च्स्थ भाग्यभाव में हैं जिस कारण वित्तीय क्षेत्र में १२⋅०% की वृद्धि हुई । कृषि में केवल ५⋅५% की वृद्धि हुई क्योंकि स्वामी शुक्र स्वगृही होने पर भी अशुभ हैं । किन्तु आयभाव पर शुक्र के सिवा अन्य प्रभाव भी हैं क्योंकि कुल आय में उद्योग,वित्त आदि का भी योगदान होता हैं जिनके कारक ग्रह बहुत शुभ हैं ।

होरावर्ग में आयेश सूर्य उच्च के हैं और शुक्र दशम में बैठकर प्रथम वर्ग के साथ भावोत्तम योग बनाते हैं,इन दोनों ग्रहों के कारण वित्त,व्यापार,कुल आय और उद्योग को लाभ मिला क्योंकि ये दोनों ग्रह उन भावों को प्रभावित कर रहे हैं ।

यह केवल संक्षिप्त उदाहरण है । अन्य वर्षों के फलादेश इसी विधि द्वारा करेंगे तो पूरी विधि स्पष्ट होने लगेगी जिसका लाभ जातक में भी मिलेगा ।

बिना मेरुकेन्द्रिक पृथ्वीचक्र की जाँच किये केवल देशचक्र द्वारा फलादेश नहीं करना चाहिये । उदाहरणार्थ, कृषि क्षेत्र में तीव्रतम विकास १९८८ में हुआ जिसका मुख्य कारक पृथ्वीचक्र है जिसमें स्वगृही शुक्र भारत में स्थित हैं और कृषिभाव के भी स्वामी हैं । दीर्घकालीन महायुगचक्र का भी प्रभाव पड़ता है ।

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