अमिताभ बच्चन को कोरोना
जन्मकुण्डली
अमिताभ बच्चन की जन्मकुण्डली में शुक्र की महादशा २०१२ ई⋅ से तथा राहु की अन्तर्दशा सित⋅ २०१९ से है,किन्तु उसी समय से उनको कोविड−१९ संक्रमण नहीं हुआ । अतः ये दोनों ग्रह केवल अपने बल पर संक्रमण के कारक नहीं हो सकते । परन्तु इन दोनों के हाथ तो हैं ही । संक्रमण जब पकड़ाया तब प्रत्यन्तर,सूक्ष्म और प्राण दशायें क्रमशः शनि,शनि तथा केतु की थीं । अमिताभ बच्चन पहले से ही कई रोगों से पीड़ित हैं जिस कारण उनकी देखभाल बारीकी से की जाती है,अतः जब संक्रमण पकड़ाया उससे कई दिन पहले ही वे संक्रमित हो चुके थे इसकी सम्भावना नहीं है । ज्योतिष में इस बात का कोई महत्व नहीं है कि शरीर में वायरस कब घुसा,महत्व है कष्ट का । जब कोविड−१९ से सम्बद्ध कष्टों का आभास हुआ तभी जाँच हुई,अतः उपरोक्त ग्रहदशायें सही हैं । अमिताभ बच्चन के जीवन की सभी महत्वपूर्ण घटनाओं की जाँच के आधार पर उनका जन्मकाल १११०१९४२ को १६०१२ मैंने निर्धारित किया था — १२ सेकण्ड मैंने अपनी तरफ से जोड़ा था । इसी आधार पर उपरोक्त ग्रहदशायें हैं ।
अमिताभ बच्चन की लग्नकुण्डली में अष्टम भाव में उसके स्वामी बुघ मूलत्रिकोणस्थ हैं जिस कारण वह भाव अशुभ है । बुध सूर्य में अस्त भी हैं और सूर्य सप्तमेश तथा शत्रुगृही होने के कारण अशुभ हैं जिस कारण बुध का अशुभत्व बढ़ गया । मङ्गल अतिशत्रुगृही होकर वहीं अस्त हैं जिस कारण मङ्गल के दोनों भाव तृतीय तथा दशम भी अशुभ हो गये ।
परन्तु वहीं नीच के शुक्र चतुर्थ और नवम के स्वामी होकर अस्त हैं । चतुर्थ और नवम के स्वामी होना प्रबल राजयोग है । अष्टम में नीच होना विपरीत राजयोग है । अतः शुक्र के दोहरे राजयोगों का लाभ अष्टम भाव को और उसमें स्थित अन्य ग्रहों को मिल रहा है । परन्तु शुक्र अस्त भी हैं जिस कारण राजयोगों के प्रभाव को सूर्य क्षीण कर रहे हैं । फलस्वरूप अष्टम भाव में सर्वाधिक प्रभाव सूर्य का है जो अत्यन्त अशुभ हैं । इसी कारण अष्टम भाव की राशि कन्या के क्षेत्र में कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान आघात लगा था जिसका प्रभाव जीवन के अन्त तक रहेगा ।
जन्मकुण्डली की दशायें हैं शुक्र राहु शनि शनि केतु । शुक्र में शुभत्व है तो अशुभ सूर्य में अस्त होने के कारण सप्तम भाव का अशुभ प्रभाव भी है । राहु लग्नेश होकर सप्तम में बैठे हैं । शनि लग्नेश और द्वादशेश होकर चतुर्थ में हैं — लग्नेश होना शुभ है किन्तु द्वादशेश होना अशुभ है । केतु लग्नस्थ हैं ।
केतु पर शनि की ५१ कला अथवा ८५% भावेशदृष्टि है जिस कारण केतु लगभग पूर्णतया शनि के वश में हैं ।
शुक्र की शनि पर २८ कला भावेशदृष्टि है । शुक्र प्रबल हैं जिस कारण शनि बहुत हद तक शुक्र के वश में हैं,और शुक्र सूर्य के वश में ।
अतः कुल मिलाकर अभी भी सूर्य ही सर्वाधिक बली हैं ।
संक्रमण की पहचान होने से ९ दिन पहले शनि का प्रत्यन्तर और सूक्ष्म दशाओं का आरम्भ हुआ । तब शरीर में वायरस का प्रवेश हुआ । केतु की प्राणदशा १० जुलाई २०२० को सायं ६ बजे आरम्भ हुई — तभी कोविड१९ के प्रकोप का अनुभव स्पष्ट हुआ और जाँच करायी गयी तो अगले दिन परिणाम मिला ।
जन्मकुण्डली के सर्वतोभद्रचक्र में सर्वाधिक विद्ध अक्षर है “र” जिसपर सूर्य,मङ्गल,बुध,शुक्र,चन्द्र और शनि — छ ग्रहों का वेध है । “ऐ” पर शनि और केतु का वेध है । अतः “रे” पर सात ग्रहों का वेध है । पाँच ग्रहों का वेध होने पर पूर्ण फल मिलता है,सात तो उससे भी प्रबल है!अमिताभ बच्चन के जीवन पर “रे” नाम वाले किस व्यक्ति का ऐसा प्रबल प्रभाव रहा है यह खुला रहस्य है । संक्रमण काल में भी पाँचों दशाकारक ग्रहों का सर्वाधिक वेध “रे” पर ही है । इसका यह अर्थ नहीं कि “रे” भी संक्रमित होनी चाहिये,इसका केवल यह अर्थ है कि “रे” के कारण ही संक्रमण हुआ,और कई दिनों तक ये महाशय और इनके सुपुत्र जया जी,ऐश्वर्य तथा बच्ची से दूर रहे जिस कारण उनको संक्रमित नहीं कर पाये (अब तो सब सेवा कर रहे हैं,अतः सम्पर्क होगा ही । पहली रिपोट पॉजिटिव नहीं थी ।)। जन्मकुण्डली के सर्वतोभद्रचक्र में “ज” पर किसी ग्रह का वेध नहीं है । घर की महिलाओं से इन महाशयों का मिलना जुलना दुर्लभ है । किनसे मिलना जुलना होता है?जन्मकुण्डली का सर्वाधिक प्रबल भाव है सप्तम जिसके स्वामी सूर्य के वश में सप्तम के अलावा बुध−शुक्र−मङ्गल के ३,४,५,८,९,१० भाव हैं । सप्तम में लग्नेश राहु भी हैं जिनकी अन्तर्दशा है ।
शनि वृष में हैं जिसका क्षेत्र है नाक और आसपास के भाग । फेफड़ा पहले से ही कमजोर है — रोगभाव में कर्क है । सर्वतोभद्र में कर्क पर सूर्य का वेध है ।
त्रिंशांश
रोग हेतु त्रिंशांश वर्ग महत्वपूर्ण है । उसमें दशायें हैं गुरु मङ्गल राहु राहु गुरु । गुरु और राहु दोहरे हैं,अर्थात् सर्वाधिक प्रभावी । गुरु बृहस्पति सप्तमेश और दशमेश होकर सर्वाधिक अशुभ केन्द्रेश दोष से ग्रस्त हैं और द्वादश में बैठकर अशुभत्व को बढ़ा रहे हैं । उनके अधीन राहु हैं जो सप्तम में हैं । वहीं मारकेश चन्द्रमा भी फेफड़ा के स्वामी हैं और रोगेश केतु के साथ हैं । जन्मकुण्डली की तुलना में त्रिंशांश कई गुणा अधिक कोरोना का कारक है । त्रिंशांश के सर्वतोभद्र में कर्क पर चन्द्र राहु केतु का वेध है । “र” पर गुरु का वाम वेध है तथा सभी स्वरों पर मङ्गल और अशुभ सूर्य का वेध है । परन्तु “र” पर चन्द्र राहु केतु का वेध नहीं । परन्तु जन्मकुण्डली में सप्तम भाव पर सर्वाधिक अशुभ वेध है तथा त्रिंशांश में भी चन्द्र राहु केतु सप्तम में हैं जिसके स्वामी गुरु सर्वाधिक अशुभ हैं ।
किसके सम्पर्क से कोरोना आया यह बिग बच्चन जी कभी नहीं बतायेंगे ।